मंगलवार, मार्च 03, 2015

चेहरे के रंग


चेहरे के पीछे छुपे हैं कुछ सपने
और सपनों के साथ उभरती तस्वीरें
तस्वीरों में छुपी हैं कुछ यादें
और यादों में लिपटी हैं बातें
बातों में उलझते नए धागे
धागों से बंधते कुछ रिश्ते और
रिश्तों से पनपते नए बंधन
बंधन से बंधते कुछ अपने
और अपनों के संग डोर से
बंधे कुछ सांझे सपने, कभी
चेहरे के रंगों में झलकते और कभी
चेहरे की लकीरों में छुपते
और फिर रंगों के साथ हवा में बिखरते
सुनहरे टिमटिमाते नादाँ से सपने

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