शनिवार, मार्च 21, 2015

नाराज़ है ये रात

नाराज़ है आज ये रात
और इस रात की तमाम बात
तू खामोश रह कर मुझे
शायद राख कर जायेगा
मगर फिर भी रहना तू
इसी तरह खामोश रात भर
याद तेरी रात के हर पल
मेरे तकिये पर आएगी
और याद मेरी तुझे भी
कुछ तो सुलगायेगी मगर
तू रहना खामोश रात भर
क्योंकिं कहना तेरी फितरत नहीं
और चुप रहना तेरी है आदत
तो शायद इसी तरह जिंदगी
की ये खुबसूरत रात बीत जाएगी
मगर तुझे क्यों कहू मैं ये सब
क्योंकि बोलने से प्यार को
तेरी चुप रहने की फितरत
शायद बदल जाएगी



















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