वो बोता रहा तमाम रात
अपने सारे स्पर्श
वो पकढ़ती रही पानी में उसकी परछाई
उसने उकेरे ढेरो निशाँ अपने और
वो संभालती रही उसकी धड़कने
वो जलाता रहा अलाव रात भर
वो देती रही अपने प्यार का कोयला
आँखों ने उसकी करी थी बातें हजार
और वो पिरोती रही बंद आँखों में
उन दोनों का साथ, उन दोनों
के खवाब
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