जाने कहाँ खो गए हो तुम
तलाशती हूँ मैं तुम्हे आजकल
दीवानों की तरह हर पल
आसमान की लकीरों पर
तुम ही नज़र आते हो
न जाने क्या हुआ है
इन आँखों को जिन्हें
तुम खामोश करे जाते हो
दिल की राहें भी तलाशती है तुम्हे
दरवेश बनकर पल दर पल
मगर तुम न जाने क्यों
मौसम की तरह
बदले बदले से नज़र आते हो
जाते जाते काश तुम मुझे
इतना तो बता जाते कि कि कभी कभी समंदर के
बीच भी जमीन उग आती है
मगर फिर किनारे के सिरे
हौले हौले एक दिन फिर से
समंदर में मिल जाती है
Kiski talash hai?
जवाब देंहटाएंAmooman khud ki hi talaash rehati hai.
Bahar dhoondate sadiyaan beet jaati hain
Ander gaharai me utarte, doobte shayad dhoond leete hain, khud ka astitva.
Kiski talash hai?
जवाब देंहटाएंAmooman khud ki hi talaash rehati hai.
Bahar dhoondate sadiyaan beet jaati hain
Ander gaharai me utarte, doobte shayad dhoond leete hain, khud ka astitva.
Good Rajeev
जवाब देंहटाएंnyc
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