सोमवार, जून 26, 2017

सुबह


वही सुबह रौशनी की उजली तारें, वही दहलीज से आता एक और दिन
कुछ अलग है तो उसकी छोटी सी हथेली और हँसतीआँखों के सवाल
जिंदगी को खूबसूरत बनाते और मेरे दायरे को आसमान बुलाते .......

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें