सोमवार, जून 26, 2017

जिंदगी

उसे जिद है आजमाने की और
मेरी आदत है अक्सर रूठ जाने की
कशमकश हो मानों प्यार आजमाने कि
और उस से ज्यादा, रूठे को मनाने की
राहें दर राहें गुजरती है आज कल
यूँ ही मेरी, इंतजार में उसके
पास आने के और फिर दूर जाने के
मगर डरता है दिल हौले से
कि जिंदगी कहीं थम न जाये
डोर कोई बंध न जाये कहीं
इस हँसी के मेल में, और
इंतजार में लिपटे अनकहे, अनजाने
तुझसे लिपटे ख्यालों के खेल में

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