उसकी मुस्कान मुझमें अक्सर झलकती है
उसकी हंसी मुझ से मिलकर कुछ और खनकती है
आँखे भी कुछ कुछ मिलती है हमारी
और उनमे सिमटी गहराई भी; अथाह
मानों सपनों ने मेरे अपना ही कोई प्रतिरूप धरा है
राहें मेरी रूकती है हर दिन उस पर ही जा कर
उसकी हंसी मुझ से मिलकर कुछ और खनकती है
आँखे भी कुछ कुछ मिलती है हमारी
और उनमे सिमटी गहराई भी; अथाह
मानों सपनों ने मेरे अपना ही कोई प्रतिरूप धरा है
राहें मेरी रूकती है हर दिन उस पर ही जा कर
नन्हा हाथ थामे उसका, जिंदगी के रंगों से देखो , कैसे
जिंदगी के हर दिन एक और नयी तस्वीर बनती है