मेरे तुम्हारे हम सभी के
कुछ सपने है रेत के हर जर्रे में
हर तरफ बिखरते या
मोतिया के फूलों में महकते
पकढ़ने लगती हूँ तो
हथेली मैली सी लगती है
लगता है मानों ग्रहण
हाथ की लकीरों में उतर आया है
सच कितना मुश्किल होता है
सपनों को कुरेदना और
अचानक हाथ की उंगलियो के
बीच उनका छोर पा लेना
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