मुझे फिर एक बार
द्वन्द को तिरोहित करना है
और देना है सपनों को एक लम्बा अन्तराल
पढ़ाव की चेष्टा करता है मन
पर डरता है , कहीं
ये मौसमी जुगनू की चमक तो नहीं
द्वन्द को तिरोहित करना है
और देना है सपनों को एक लम्बा अन्तराल
पढ़ाव की चेष्टा करता है मन
पर डरता है , कहीं
ये मौसमी जुगनू की चमक तो नहीं
या मेरी ही कोई सनक तो नहीं
एक रिक्त सा कोना खाली
आज फिर भरना चाहता है
न जाने कैसी आहट है ये
जिसे सुन मन अपने सिर्फ अपने
गगन में उढ़ना चाहता है ........
एक रिक्त सा कोना खाली
आज फिर भरना चाहता है
न जाने कैसी आहट है ये
जिसे सुन मन अपने सिर्फ अपने
गगन में उढ़ना चाहता है ........
aap ke liye kuchh tripde likh rha hoon yh ek ni vidha hai
जवाब देंहटाएंyaden kyon aatee hain
jo beet gi baten
ve fir kyon stati hain
yadon ka shara hai
jivn kee ndiya ka
ek ahm kinara hai
ndiyon ka pani hai
yh rukne nhi vala
jivn kee rvanee hai
jinhen yad nhi krte
fir bhi kuchh ko
hm bhool nhi skte
kuchh yaden aatee hai
savn ke mhine see
rimjhim kr jatee hain
ve ek khanee hain
savn kee boondon see
ve yad suhanee hain
ye aisi yaden hain
gnne ka rs jaisi
mithi si baten hain
dr.vedvyathit@gmail.com
meri hardik shubhkamnaon shit
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