मंगलवार, अप्रैल 28, 2015

तुम

तुम आओगे मेरे पास फिर से
मुझ को पता है तो फिर ये
आँख क्यों नम हो जाती है
तेरे जाने के बाद भी ये
उदासी की डोर क्यों मेरे
और करीब हो जाती है
रस्ते नापती हूँ मैं अक्सर
आसमान से सटी इमारतों में
या देखती हूँ उदास आँखों से
समुन्दर को तभी लहरे
तेरी याद दिला जाती हैं
और आँखों के किनारे से
कुछ बूंदे टपका जाती हैं
तुझे याद करते हुए और
ढलते सूरज को देखते हुये
इस इंतजार में की शायद
एक दिन तुम वापिस आओगे
और मेरी मुस्कराहट फिर से
मुझे दे जाओगे .............

इंतजार में हूँ मैं तुम्हारे

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