मंगलवार, अप्रैल 14, 2015

तुम्हारा मौन











तुम्हारा मौन देखो मुझे
प्यार से सहलाता है
कभी माथे से सटी लटे हटाता है, और
अगले ही पल उन लटों को
प्यार तले और उलझाता है ........
तुम्हारा मौन देखो मुझे
किस तरह तुम्हारे
प्यार में भिगो जाता है और
फिर अचानक प्यार की आंच में
अपने और करीब ले जाता है
तुम्हारा मौन देखो मुझे
कैसे किताब सा पढ़ लेता है
और फिर हर पन्ने पर
अपना नाम लिख जाता है
न जाने क्या है इस सवाल में
तुम्हारा मौन देखो कैसे
मौन से भी अपने
मुझे निरुतर कर जाता है

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें