चलो हम अपने निशान खोजे
और धागे में सपनों को पिरों दे
या मोतिये की सफ़ेद कलियों से
अपना तकिया महका दें और
सुबह की खुशबू में एक दुसरे को
उस तकिये की सिलवटों पर ढूंढे
मगर कैसा को अगर हम
इन सबसे अलग पानी सा
खुद को एक दुसरे में मिला दे
और महकते तकिये को अपनी
खुशबू में कुछ और लिपटा दें .....
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