शुक्रवार, अप्रैल 10, 2015

चलो


चलो हम अपने निशान खोजे
और धागे में सपनों को पिरों दे
या मोतिये की सफ़ेद कलियों से
अपना तकिया महका दें और
सुबह की खुशबू में एक दुसरे को
उस तकिये की सिलवटों पर ढूंढे
मगर कैसा को अगर हम
इन सबसे अलग पानी सा
खुद को एक दुसरे में मिला दे
और महकते तकिये को अपनी
खुशबू में कुछ और लिपटा दें .....

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