और सपनोंके साथ उभरती कुछ तस्वीरें
तस्वीरों में छुपी हैं कुछ यादें
और यादों में लिपटी हैं कुछ बातें
बातों में उलझते कुछ धागे और
धागों से बंधते कुछ रिश्ते
रिश्तों से पनपते नए बंधन
बंधन से बंधते कुछ अपने
और अपनों के संग डोर से
बंधे कुछ सांझे सपने, कभी
चेहरे के रंगों में झलकते और कभी
चेहरे की लकीरों में छुपते
सुनहरे टिमटिमाते नादाँ से सपने