मंगलवार, मार्च 14, 2017

एक और कहानी


चेहरे के पीछे छुपे हैं कुछ सपने
और सपनोंके साथ उभरती कुछ तस्वीरें
तस्वीरों में छुपी हैं कुछ यादें
और यादों में लिपटी हैं कुछ बातें
बातों में उलझते कुछ धागे और
धागों से बंधते कुछ रिश्ते
रिश्तों से पनपते नए बंधन
बंधन से बंधते कुछ अपने
और अपनों के संग डोर से
बंधे कुछ सांझे सपने, कभी
चेहरे के रंगों में झलकते और कभी
चेहरे की लकीरों में छुपते
सुनहरे टिमटिमाते नादाँ से सपने

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