रविवार, जुलाई 12, 2015

चलो

आओ आज शाम फिर उस राह पर चले
अपने पुराने सपनों से मिले और उसी
झील के किनारे सूरज को ढलता देखे
आओ आज शाम फिर एक दुसरे का
हाथ थामे उस पगडंडी पर चले और
चाय कि प्याली के धुंए को फिर से
दोनों साथ में साँझा करे .................




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