सोमवार, जून 15, 2015

बस

बस इतना सा ही सपना है
कि रास्ते तुमसे मिलकर
खुद भी राही बन जाये
तुम्हारे सफ़र के और
मंजिल हाथ बढ़ा कर खुद
ही थाम ले तुम्हे हर बार
बस इतना सा सपना है
तुम्हारे दायरे की लकीरें
हर पल बढ़ती रहें और
कहीं न कहीं फिर भी
मुझे छूती रहें बस ...
इतना सा सपना है कि
सपने तुम्हारे महकते रहें
और तुम्हारी राहों में
सिर्फ खुशियों के रंग
हर दिन भोर से बिखरते रहें
बस इतना सा सपना है.....

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