बस इतना सा ही सपना है
कि रास्ते तुमसे मिलकर
खुद भी राही बन जाये
तुम्हारे सफ़र के और
मंजिल हाथ बढ़ा कर खुद
ही थाम ले तुम्हे हर बार
बस इतना सा सपना है
तुम्हारे दायरे की लकीरें
हर पल बढ़ती रहें और
कहीं न कहीं फिर भी
मुझे छूती रहें बस ...
इतना सा सपना है कि
सपने तुम्हारे महकते रहें
और तुम्हारी राहों में
सिर्फ खुशियों के रंग
हर दिन भोर से बिखरते रहें
बस इतना सा सपना है.....
कि रास्ते तुमसे मिलकर
खुद भी राही बन जाये
तुम्हारे सफ़र के और
मंजिल हाथ बढ़ा कर खुद
ही थाम ले तुम्हे हर बार
बस इतना सा सपना है
तुम्हारे दायरे की लकीरें
हर पल बढ़ती रहें और
कहीं न कहीं फिर भी
मुझे छूती रहें बस ...
इतना सा सपना है कि
सपने तुम्हारे महकते रहें
और तुम्हारी राहों में
सिर्फ खुशियों के रंग
हर दिन भोर से बिखरते रहें
बस इतना सा सपना है.....
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