मुझे याद आती हैं हर शाम
तुम्हारी वो आँखें, कभी
शरारत से मुस्कुराती तो
कभी दरवेश सा गुनगुनाती
सागर से गहरी वो दो
मुझ में समाती आँखें
याद करती हूँ अक्सर मैं
आँखों को तुम्हारी
इस भीढ़ की दुनिया में
अपनी पलके मूँद कर
और अपने ही सिरहाने
पा लेती हूँ वो आँखें
तुम्हारी वो दो बोलती आँखें
nice one..
जवाब देंहटाएंThanks Ashu..........
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