कल शाम पानी की लकीरों पर तस्वीर उभरती रही
और यादों की हांड़ी में कुछ और यादें पकती रही
चाँद चांदनी पिरोता रहा रात भर, मोतियों की तरह
और मैं खोजती रही तिनके घरोंदे के लिये
तुम्हारे और मेरे .....सपने
सिलवटे तकिये की दिलाती रही तुम्हारी याद कुछ और
और अँधेरा अकेले होने का अहसास
कितना बुरा होता है अँधेरा,
सच का अहसास दिला जाता है जो
इतनी शफक सच्चाई से .....................
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