शनिवार, अगस्त 01, 2015

तुम्हारी मुस्कराहट

देखना जिंदगी भी पानी के साथ मिल
जर्रे जर्रे में एक दिन मिल जाएगी
और फिर वहीँ दूर तक तुम्हारी मुस्कराहट
नमी में घुल कर समां में बिखर जाएगी
तुम मौसम हो अब तो ये मुझ को भी
खबर है मगर देखना बेखुदी तेरी एक दिन
तुझ कों ही शाम ढले मय्यसर हो जाएगी
आती है रात हर शाम के बाद, ये तो शायद
हर काफ़िर कों भी पता है, पर शायद अब से
वो रात कुछ और तन्हा हो जाएगी, मगर
जिंदगी की ये नेमत है की वो फिर
बारिश बन कर कुछ धूल बनती यादों को
पानी में बहा ले जाएगी .............................

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