शुक्रवार, मार्च 25, 2016

पानी का अस्तित्व

मुझे हलके से आज फिर
याद आता रहा वो स्पर्श
अपना सा लगा था मुझे
वो अर्श, लेकिन अचानक
हवा न जाने क्यों रुखी थी
शायद समझ ही नहीं पाई वो
कैसा होता है दूर तक चांदनी सा
फैला जीवन का स्पर्श
आपको सहलाता और सवांरता
फिर करीने से बेल सा उकारता
सपनों का एक नया अर्थ, मानों
आपके आस्तित्व को किसी ने
पानी बना दिया और उसे एक दिन
समुन्दर में मिला दिया ताकि
हर दिन के साथ मिलता रहे
इस जिंदगी को एक नया अर्थ

सोमवार, मार्च 21, 2016

फिर न कहना

फिर न कहना तुम मुझे कि
वो पल रूठ कर चले गए
फिर न कहना तुम मुझे
कि होठ मिले बिना ही रह गए
हाथ थामना चाहते थे मेरा हाथ
तमाम रात मगर ख्याल
अँधेरे में चुपचाप मिल गए
फिर न कहना तुम मुझे
कि मेरा तिल तुम्हे मिला ही नहीं
जबकि हकीकत है ये कि
तुम उस तरफ पलट कर
आये ही नहीं
पानी में मिल जायेंगे
ये ख्याल साल दर साल
फिर न कहना आकर
कानों में मेरे कि वो साल
बिन बरसे ही निकल गए
देखो...............................
फिर न कहना तुम मुझसे